मानसिक गुलाम और चालाक शोषक
जरा सावधान ………..
जब बात मानसिक गुलामी की आती हैं तो बरबस बहुजनों के युवाओं के जहन में मनुवादियों कि एक भयानक तस्वीर बन जाती है। पर थोड़ा करीब से देखा जाए तो यह मानसिक गुलामी के सरदार या गुलाम बनाने की जो प्रबल इच्छा रखते है वह तथाकथित अंबेडकरवादियों में तथा उनके संगठन के आला पदाधिकारियों में भी है।
वह चाहते हैं या कोशिश करते हैं कि उनके साथ/नीचे काम करने वाले कार्यकर्ता उनकी सभी बात को हां में हां करके स्वविकार करें। वो किसी आलोचना की, असहमति की, किसी भी लोकतांत्रिक विचार-विमर्श की कोई स्थान रिक्त नही रखते, या सुनना ही पसंद नहीं करते। वो खुद व दो चार करीबियों को ही सर्वेसर्वा मानते है। जोकि लोकतंत्र के बिल्कुल विरूद्ध है।
इसलिए मेरे बहुजन युवा साथियों आप किसी नेता अथवा किसी व्यक्ति या विभूति की जयकारा, भक्ति एवं आत्म विभोर होकर उसकी प्रशंसा ना करें। यह आपको मानसिक गुलामी की ओर ले जाएगी।
लोकतंत्र का यह तकाजा है कि आप जनहित मुद्दों पर सवाल उठाए!
आप किसी संस्था, किसी पार्टी व किसी संगठन से जुड़े हैं तो वहां पर समाज व देश के लोग सर्वोपरि हो ना कि कोई व्यक्ति विशेष। हमको आपको जनकल्याण की भावना को केंद्र में रख कर के अच्छे व ईमानदार लोगों के साथ सामाजिक और राजनीतिक कार्यों में प्रतिभाग करना चाहिए।
जो लोग आपके विचार, आपकी आलोचना या आपके सुझाव सुनना पसंद नहीं करते यकीन मानिए ऐसे तथाकथित नेतृत्व-कर्ता संस्था को, समाज को और देश को गर्त में डुबोने वाला है।
इनसे सावधान रहें।
✍🏼
SD.RAO
राष्ट्रीय कार्यालय सचिव
भारतीय मूलनिवासी संगठन
Jila balauda bazar post bhatgaon garam jamgahan
Jai bhim jai mulniwasi
जरा सावधान ………..
जब बात मानसिक गुलामी की आती हैं तो बरबस बहुजनों के युवाओं के जहन में मनुवादियों कि एक भयानक तस्वीर बन जाती है। पर थोड़ा करीब से देखा जाए तो यह मानसिक गुलामी के सरदार या गुलाम बनाने की जो प्रबल इच्छा रखते है वह तथाकथित अंबेडकरवादियों में तथा उनके संगठन के आला पदाधिकारियों में भी है।
वह चाहते हैं या कोशिश करते हैं कि उनके साथ/नीचे काम करने वाले कार्यकर्ता उनकी सभी बात को हां में हां करके स्वविकार करें। वो किसी आलोचना की, असहमति की, किसी भी लोकतांत्रिक विचार-विमर्श की कोई स्थान रिक्त नही रखते, या सुनना ही पसंद नहीं करते। वो खुद व दो चार करीबियों को ही सर्वेसर्वा मानते है। जोकि लोकतंत्र के बिल्कुल विरूद्ध है।
इसलिए मेरे बहुजन युवा साथियों आप किसी नेता अथवा किसी व्यक्ति या विभूति की जयकारा, भक्ति एवं आत्म विभोर होकर उसकी प्रशंसा ना करें। यह आपको मानसिक गुलामी की ओर ले जाएगी।
लोकतंत्र का यह तकाजा है कि आप जनहित मुद्दों पर सवाल उठाए!
आप किसी संस्था, किसी पार्टी व किसी संगठन से जुड़े हैं तो वहां पर समाज व देश के लोग सर्वोपरि हो ना कि कोई व्यक्ति विशेष। हमको आपको जनकल्याण की भावना को केंद्र में रख कर के अच्छे व ईमानदार लोगों के साथ सामाजिक और राजनीतिक कार्यों में प्रतिभाग करना चाहिए।
जो लोग आपके विचार, आपकी आलोचना या आपके सुझाव सुनना पसंद नहीं करते यकीन मानिए ऐसे तथाकथित नेतृत्व-कर्ता संस्था को, समाज को और देश को गर्त में डुबोने वाला है।
इनसे सावधान रहें।
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